Saturday 12 September 2020

हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई का नारा लगाने वाले सेक्युलर हिन्दुओ जरा आँखें खोल कर पढ़ें। आसमानी किताब में क्या लिखा है।

 हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई का नारा लगाने वाले सेक्युलर हिन्दुओ जरा आँखें खोल कर पढ़ें। आसमानी किताब में क्या लिखा है।

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1- ”फिर, जब पवित्र महीने बीत जाऐं, तो ‘मुश्रिको’ (मूर्तिपूजको ) को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। ( कुरान मजीद, सूरा 9, आयत 5) (कुरान 9:5) . http://www.quran.com/9/5 http://www.quranhindi.com/p260.htm
2- ”हे ‘ईमान’ लाने वालो (केवल एक आल्ला को मानने वालो ) ‘मुश्रिक’ (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं।” (कुरान सूरा 9, आयत 28) . http://www.quran.com/9/28 http://www.quranhindi.com/p265.htm
3- ”निःसंदेह ‘काफिर (गैर-मुस्लिम) तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।” (कुरान सूरा 4, आयत 101) . http://www.quran.com/4/101 http://www.quranhindi.com/p130.htm
4- ”हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) उन ‘काफिरों’ (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।” (कुरान सूरा 9, आयत 123) . http://www.quran.com/9/123 http://www.quranhindi.com/p286.htm
5- ”जिन लोगों ने हमारी ”आयतों” का इन्कार किया (इस्लाम व कुरान को मानने से इंकार) , उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं” (कुरान सूरा 4, आयत 56) http://www.quran.com/4/56 http://www.quranhindi.com/p119.htm
6- ”हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा ‘कुफ्र’ (इस्लाम को धोखा) को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे” (कुरान सूरा 9, आयत 23) . http://www.quran.com/9/23 . . http://www.quranhindi.com/p263.htm .
7- ”अल्लाह ‘काफिर’ लोगों को मार्ग नहीं दिखाता” (कुरान सूरा 9, आयत 37) . http://www.quran.com/9/37 . . http://www.quranhindi.com/p267.htm .
8- ” ऐ ईमान (अल्ला पर यकिन) लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ। और अल्लाह का डर रखों यदि तुम ईमानवाले हो (कुरान सूरा 5, आयत 57) . http://www.quran.com/5/57 http://www.quranhindi.com/p161.htm
9- ”फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।” (कुरान सूरा 33, आयत 61) . http://www.quran.com/33/61 http://www.quranhindi.com/p592.htm
10- ”(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे ‘जहन्नम’ का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।” ( कुरान सूरा 21, आयत 98 . http://www.quran.com/21/98 http://www.quranhindi.com/p459.htm
11- ‘और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके ‘रब’ की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।” (कुरान सूरा 32, आयत 22) . http://www.quran.com/32/22 http://www.quranhindi.com/p579.htm
12- ‘अल्लाह ने तुमसे बहुत सी ‘गनीमतों’ का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,”(लूट का माल) (कुरान सूरा 48, आयत 20) . http://www.quran.com/48/20 . . http://www.quranhindi.com/p713.htm
13- ”तो जो कुछ गनीमत (लूट का माल जैसे लूटा हुआ धन या औरते) तुमने हासिल किया है उसे हलाल (valid) व पाक समझ कर खाओ (उपयोग करो)’ (कुरान सूरा 8, आयत 69) . http://www.quran.com/8/69 http://www.quranhindi.com/p257.htm
14- ”हे नबी! ‘काफिरों’ और ‘मुनाफिकों’ के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना ‘जहन्नम’ है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे” (कुरान सूरा 66, आयत 9) . http://www.quran.com/66/9 http://www.quranhindi.com/p785.htm
15- ‘तो अवश्य हम ‘कुफ्र’ (इस्लाम को धोखा देने वालो) करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।” (कुरान सूरा 41, आयत 27) . http://www.quran.com/41/27 http://www.quranhindi.com/p662.htm

16,       एक मुस्लिम भाई ने बोला जा कर पहले उर्दू पढ़ वो क्या जनता था बेचारा मेने उसको छोटा सा प्रमाण दिया कुरान में से ही सूरा no2 आयत no 223 में साफ लिखा है,*✨✨


نِسَاۗؤُكُمْ : عورتیں تمہاری / औरते तुम्हारी

حَرْثٌ : کھیتی / खेती है

لَّكُمْ : تمہاری / तुम्हारे लिए

فَاْتُوْا : سو تم آؤ / तो तुम आओ

حَرْثَكُمْ : اپنی کھیتی / अपनी खेती में

اَنّٰى : جہاں سے / जिस तरह

شِئْتُمْ : تم چاہو / तुम चाहो

وَقَدِّمُوْا : اور آگے بھیجو / औऱ आगे भेजो

لِاَنْفُسِكُمْ : اپنے لیے / अपने लिए

وَاتَّقُوا : اور دوڑو / और नाफरमानी से बचो

اللّٰهَ : اللہ / अल्लाह की

وَاعْلَمُوْٓا : اور تم جان لو / और तुम जान लो

اَنَّكُمْ : کہ تم / की तुम

مُّلٰقُوْهُ : ملنے والے اس سے / मुलाक़ात करने वाले हो उस से

وَبَشِّرِ : اور خوشخبری دیں / और खुशखबरी दीजिये

الْمُؤْمِنِيْنَ : ایمان والے / ईमान वालो को


ترجمہ :- *تمہاری عورتیں تمہاری کھیتیاں ہیں تمہیں اختیار ہے، جس طرح چاہو، اپنی کھیتی میں جاؤ، مگر اپنے مستقبل کی فکر کرو اور اللہ کی ناراضی سے بچو خوب جان لو کہ تمہیں ایک دن اُس سے ملنا ہے اور اے نبیؐ! جو تمہاری ہدایات کو مان لیں انہیں فلاح و سعادت کا مثردہ سنا دو۔*


तर्जुमा :- *(अल्लाह पर यक़ीन करने वालो) औरते तुम्हारी खेतिया हैं, लिहाजा जिधर से तुम चाहो अपनी खेती में आओ,और अपने लिए (नेक / भले काम) आगे भेजो, और अल्लाह की नाफ़रमानी से बचो, और ध्यान रखो कि तुम्हे (एक दिन) उससे ज़रूर मिलना है, और (मुहम्मद S.A.W. आप) ईमान वालो को खुशखबरी सुना दीजिए।*                

 

सवाल यह उठता है की जिस मजहब के धर्म-ग्रन्थ मे यह सब लिखा हो उस धर्म के लोग गंगा जमुनी तहजीब व् भाईचारे की बात किस मुँह से करते है?